#कुबेर देव
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iskconchd · 8 months ago
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*अक्षय तृतीया* / *चंदन यात्रा* _10th May 2024, Friday_ महत्व और इस दिन की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ : *चंदन यात्रा* : अक्षय तृतीया से शुरू होकर 21 दिनों तक, गर्मी के कारण, भगवान पर चंदन का लेप किया जाता है। श्री माधवेंद्र पूरी को स्वयं भगवान से आदेश प्राप्त हुए और यह सेवा तब से *चंदन यात्रा* के नाम से जानी जाती है। 1) *भगवान परशुराम* का आविर्भाव हुआ था इसीलिए आज परशुराम जयंती भी है। 2) *माँ गंगा* का धरती अवतरण हुआ था। 3) *त्रेता युग* का प्रारंभ। 4) *सुदामा* का द्वारका में कृष्ण से मिलन। 5) सूर्य भगवान ने पांडवों को *अक्षय पात्र* दिया। 6) वेदव्यास जी ने *महाकाव्य महाभारत की रचना* गणेश जी के माध्यम से *प्रारम्भ की थी।* 7) प्रथम तीर्थंकर *आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान* के 13 महीने का कठिन उपवास का *पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया* था। 8) प्रसिद्ध धाम *श्री बद्री नारायण धाम* के कपाट खोले जाते है। 9) *जगन्नाथ भगवान* के सभी *रथों को बनाना प्रारम्भ* किया जाता है। आदि शंकराचार्य ने *कनकधारा स्तोत्र* की रचना की थी। 10) *कुबेर* को खजाना मिला और देव खजांची बनें। 11) *माँ अन्नपूर्णा* का प्राकट्य। 🕉 *अक्षय* का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो!! अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है...! May this day of "AKSHAYA TRITIYA" bring you spiritual Success and Prosperity which never diminishes !! 🙏🏻 हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। #krishna #iskcon #motivation #success #love #innovation #education #future #india #creativity #inspiration #life #quotes #Chandigarh #Devotion
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indlivebulletin · 2 months ago
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Naraka Chaturdashi 2024 Deep Direction: नरक चतुर्दशी के दिन किस दिशा में जलाएं यम दीप, कैसे मिलेगा लंबी आयु का वरदान?
Naraka Chaturdashi 2024 Yam Deep Ki Sahi Disha: हिन्दू धर्म में नरक चतुर्दशी को बेहद खास माना जाता है. इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है. यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस दिन लोग प्रदोष काल के दौरान चार मुखी दीया जलाने की परंपरा हैं जो यम देव को समर्पित होता है. इस दिन लोग भगवान कुबेर, देवी लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और यम देव, जिन्हें मृत्यु का देवता माना जाता है उनकी…
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jeevanjali · 4 months ago
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Money Vastu Tips: घर में हमेशा रहती है पैसों की तंगी? तो करें इन कुबेर मंत्र का जापKuber Dev Ke Mantra In Hindi: शास्त्रों के अनुसार भगवान कुबेर को धन का देवता माना जाता है। कुबेर देव की पूजा करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। उनके मंत्रों का जाप करने से दरिद्रता दूर होती है और घर में धन का आगमन बढ़ता है।
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brijkerasiya · 4 months ago
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श्री कुबेर चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Shree Kuber Chalisa with Hindi Meaning)
श्री कुबेर चालीसा विडियो श्री कुबेर चालीसा (Shree Kuber Chalisa) ॥ दोह�� ॥ विघ्न हरण मं��ल करण, सुनो शरणागत की टेर। भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर॥ जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर। ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी, धन माया के तुम अधिकारी। तप तेज पुंज निर्भय भय हारी, पवन वेग सम सम तनु बलधारी। स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी, सेवक इन्द्र देव के…
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hanumanchalisapdfnow · 7 months ago
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Hanuman Chalisa Hindi Lyrics PDF Download - हनुमान चालीसा
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी ॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा ॥४॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे ॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन ॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया ॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा विकट रूप धरि लंक जरावा ॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे ॥१०॥
लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए ॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही ॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहु को डरना ॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक तै कापै ॥२३॥
भ���त पिशाच निकट नहि आवै महावीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा ॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे ॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाई ॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई ॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखी गौरीसा ॥३���॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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pradeepdasblog · 1 year ago
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( #Muktibodh_part178 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part179
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 343-344
‘‘धर्मदास वचन’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 989-994 का सरलार्थ :- धर्मदास जी श्री विष्णु जी के भक्त थे। शिव जी की भी भक्ति करते थे। परमात्मा इन्हीं को मानते थे। फिर लोकवेद के आधार से परमात्मा को निराकार भी कहते थे। इसी आधार पर धर्मदास जी ने परमात्मा से प्रश्न किया कि आपका नाद-बिन्द यानि माता-पिता से उत्पन्न शरीर प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है। आप खाते-पीते हो, बोलते, चलते हो। आप अपने को परमेश्वर भी कह रहे हो। परमात्मा तो निराकार है। वह दिखाई नहीं देता। हे जगदीश! मुझे यह (भेद) रहस्य समझाईए। आपने सृष्टि की रचना कैसे की? कैसे चाँद व सूर्य उत्पन्न किए? कैसे नदी, पहाड़, पानी, पवन, पृथ्वी, आकाश की रचना की? आप कितनी कला के प्रभु हैं? जैसे श्री विष्णु जी सोलह कला के प्रभु हैं। आप कैसे सर्वव्यापक हैं? कैसे सबसे (न्यारे) भिन्न हो? धरती पर चलते हो। परंतु
आकाश में कैसे चलते हो? यह सब ज्ञान मुझे बताएँ।
जिंदा वेशधारी कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि :-
◆पारख के अंग की वाणी नं. 995.1000 :-
बोलत जिंद अबंध, सकल घट साहिब सोई।
निर्वानी निजरूप, सकल सें न्यारा होई।।995।।
हमही राम रहीम, करीम पूर्ण कर्तारा। हमही बांधे सेतु, चढे संग पदम अठारा।।996।।
हमही रावण मारा, लंक पर करी चढाई।
हमही दशशिर मारि, देवता बंधि छुटाई।।997।।
हमरी शक्ति से सीता सती, जती लक्ष्मण हनुमाना।
हमही कलप उठाय, करत हम ही क्षैमानां।।998।।
��लि कै हम बावन रूप, इन्द्र और बरूण कुबेरं।
हमही से हैं धर्मराय, अदलि करि सृष्टि सुमेरं।। 999।।
दोहा-छिन में धरती पग धरौं, नादैं सष्टि संजोग। पद अमान न्यारा रहूं, इस बिधि दुनी बिजोग।। 1000।।
‘‘परमेश्वर कबीर वचन’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 995-1000 का सरलार्थ :- जिन्दा वेशधारी परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि हे धर्मदास! मैं असँख्य कला का करतार हूँ। मेरा शरीर पाँच तत्त्व से नहीं
बना है। मैंने अपनी वचन शक्ति से सब चाँद-सूर्य, तारे, ग्रह, ब्रह्माण्ड, नदी-पानी, पवन, धरती, आकाश व पहाड़ तथा वनस्पति की रचना की है। {जैसे वैज्ञानिक वायुयान को बनाकर उसके ऊपर सवार होकर आकाश में घूमता है। जैसे रॉकेट वैज्ञानिकों ने बनाया। उसे आकाश में छोड़ा। वह कई वर्षों तक आकाश में उड़ता रहता है। वैज्ञानिक इन दोनों (विमान तथा रॉकेट) से भिन्न भी रिमोट शक्ति से रॉकेट को कंट्रोल भी करता है। मैं पूर्ण
परमेश्वर हूँ।} मेरे द्वारा बनाए नियम के आधार से रावण व रामचन्द्र की उत्पत्ति हुई। उनका युद्ध पूर्व निर्धारित संस्कार से हुआ था। मैंने रामचन्द्र के पूर्व जन्म के संस्कार के कारण उसकी गुप्त सहायता की थी। समुद्र पर पुल मैंने अपनी शक्ति से पत्थर हल्के करके
बनवाया था। रावण को गुप्त रूप से मैंने मारा था। रामचन्द्र अंदर से थक चुका था। मेरी शक्ति से सीता सती धर्म पर कायम रही। हनुमान में मेरी शक्ति ने काम किया जिसके कारण द्रोणागिरी को उठाकर उड़कर लाया था। हनुमान जी महाबली तो थे। बलवान व्यक्ति अधिक भार उठाकर पृथ्वी पर तो शारीरिक बल से चल सकता है, उड़ नहीं सकता।
लक्ष्मण की रक्षा करनी थी। इसलिए हनुमान जी में आध्यात्मिक शक्ति (उड़ने की सिद्धि) मैंने प्रवेश की थी। सीता की खोज के समय समुद्र पार उड़कर गया था। यह भी शक्ति मैंने
गुप्त रूप में दी थी। इन दो घटनाओं के अतिरिक्त हनुमान जी कभी आकाश में नहीं उड़े।
राजा बली की अश्वमेघ यज्ञ में हम ही बावना रूप बनाकर गए थे। मेरे विधान से भक्ति के कारण वरूण (जल का देवता) तथा कुबेर (धन का देव) की पदवी प्राप्त हैं। हमारे से ही धर्मराय (काल का न्यायधीश) विद्यमान है। मैं एक (छिन) क्षण में सतलोक से आकर पृथ्वी के ऊपर (पग) पैर रख देता हूँ तथा दूसरे (छिन) क्षण में (न्यारा) पृथ्वी से भिन्न होकर सतलोक (जो सोलह शंख कोस की दूरी पर है, वहाँ) चला जाता हूँ। इस प्रकार मैं सृष्टि से न्यारा हूँ। (नादै) वचन से सृष्टि की उत्पत्ति कर देता हूँ।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 1000-1005 :-
बोलत है धर्मदास, जिंद जननी को थारी।
कौंन पिता परवेश, कौन गति रह��ि अधारी।।1001।।
क्यौं उतरे कलि मांहि, कहौ सभ भेद बिचारा।
तुम निज पूरण ब्रह्म, कहां अन्न पान अहारा।।1002।।
कौन कुली कर्तार, कौन है बंश बिनांनी।
शब्द रूप सर्बंग, कहांसैं बोलत बानी।।1003।।
कौन देह सनेह, नयन मुख नासा नेहा। तुम दीखत हौ मनुष्य, कौन बिधि जिंद बिदेहा।।1004।।
कौन तुम्हारा धाम, नाम सुमरन क्या कहिये।
तुम व्यापक कलिमांहि, कहौ कहां साहिब रहिये।।1005।।
‘‘धर्मदास वचन’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 1001-1005 का सरलार्थ :- धर्मदास ने पुनः प्रश्न किया कि हे जिन्दा! ऊपर जहाँ आप रहते हो, वहाँ आपकी जननी का क्या नाम है? पिता का क्या
नाम है? आप यदि ऊपर रहते हो तो पृथ्वी के ऊपर किसलिए आए हो? यदि आप (निज) वास्तव में पूर्ण ब्रह्म हैं तो आप ऊपर आकाश में अन्न-पानी का आहार कहाँ से करते हो?
आप कौन से कुल के प्रभु हो? जैसे विष्णु के अवतार हो या शिव के गण हो? यदि आपके सब अंग शब्द रूप हैं तो बोल कैसे रहे हो? आप तो मनुष्य दिखाई देते हो। आप परमात्मा कैसे हो सकते हो? आपका (धाम) लोक कौन-सा है? स्मरण का नाम क्या है? आप अपने को सर्वव्यापक कह रहे हो और एक स्थान पर भी रहते हो। कृपया समझाइए।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि :-
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 1006-1012 :-
दोहा-गगन शून्य में हम रहें, व्यापक सबही ठौर।
हृदय रहनि हमार है, फूल पान फल मौर।।1006।।
जिंद कहै धर्मदास, सुनौं सतगुरू की बानी।
हमही संत सुजान, हमही हैं शारंगपानी।।1007।।
ॐ कार अरू माय��, सब तास के पुत्र कहावै।
हम परमात्म पद पिता, दहूं कै मधि रहावै।।1008।।
हम उतरे तुम काज, शुन्य सें किया पयाना।
शब्द रूप धरि देह, समझि बानी सुर ज्ञाना।।1009।।
नहीं नाद नहीं बिंद, नहीं पांच तत्व अकारं।
घुडिला ज्ञान अमान, हंस उतारूं पारं।।1010।।
निरखि परखि करि देख, नहीं भौतिक हमरैं काया।
हम उतरे तुम काज, नहीं कछु मोह न माया।।1011।।
दोहा-गगन शून्य में धाम है, अबिगत नगर नरेश।
अगम पंथ कोई ना लखै, खोजत शंकर शेष।।1012।।
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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sabkuchgyan · 1 year ago
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इन 5 राशियों को जल्द ही मिल सकता है लाभ, माँ लक्ष्मी कुबेर देव की होगी कृपा
Jyotish :-एक नई नींव रखने के लिए एक व्यवसाय या नया उद्यम शुरू करना अब आपके भविष्य को लाभ देगा। घर और व्यवसाय के बीच कदम रखने वाली महिलाओं को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ेगा जो अपना समय और ऊर्जा बर्बाद करेंगे। आप एक बहुत ही तार्किक दृष्टि वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। आपकी अंतर्दृष्टि, दृष्टिकोण और विचारों को आज बहुत सराहना मिलेगी। लोग आपसे सलाह ले सकते हैं। आज का दिन आपके लिए भाग्यशाली…
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astrologerchandan · 1 year ago
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घर में हो धन-धान्य की वर्षाहो मां लक्ष्मी-कुबेर देव का वास धनतेरस का यह पर्व आपके लिए रहे शुभ और खास. समस्त देशवासियों को धनतेरस के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं Astrologer Chandan Ji Call : - +91-8290769959 #topastrologer #astronews #astroworld #Astrology #lovemarriage #astrologers #astrologymemes #marriage #loveback #love #carrerproblemsolution #unemploymentproblems #grahdosh #businessproblemsolution #dealyinmarriage #loveproblemsolution #familyproblemsolution #dhanteras #dhanteraswishes #dhanterasrangoli #dhanteraspuja #dhanteras2023 #diwali
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sanskritiandsanskaar · 1 year ago
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*धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं*। ।। धनतेरस पर्व एवं भगवान धनवंतरि जयंती ।।
हर वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इसी तिथि पर भगवान धनवंतरि सोने के कलश के साथ प्रकट हुए थे। साथ ही त्रयोदशी के दिन ही आयुर्वेद के देवता धनवंतरि जी की जयंती भी मनाई जाती है।
इस साल १० नवंबर को धनतेरस है। धनतेरस पर नई चीजों की खरीदारी का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है जो कोई भी धनतेरस के दिन खरीदारी करता है, उसके घर पर सुख और समृद्धि आती है।
मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई वस्तुएं कई वर्षों तक शुभ फल प्रदान करती हैं। ऐसे में प्रस्तुत है इस साल धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त, महत्व और इस दिन की खरीदारी-
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त-
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन यानी १० नवंबर २०२३ को दोपहर १२ बजकर ३५ मिनट से लेकर अगले दिन यानी ११ नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।
धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त-
धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त १० नवंबर, २०२३ शुक्रवार को शाम ०५ बजकर ४७ मिनट से शाम ०७ बजकर ४७ मिनट तक रहेगा।
धनतेरस पर खरीदारी का महत्व-
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में बर्तन और सोने-चांदी के अलावा वाहन, जमीन-जायदाद के सौदे, लग्जरी चीजें और घर में काम आने वाले अन्य दूसरी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुणा वृद्धि होती है।
धनतेरस पर खरीदने योग्य वस्तुएं-
धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन, वाहन और कुबेर यंत्र खरीदना शुभ होता है।
इसके अलावा झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है। मान्यता है इस दिन झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं।
वहीं यदि धनतेरस के दिन आप कोई कीमती वस्तु नहीं खरीद पा रहे हैं तो साबुत धनिया जरूर घर ले आएं। मान्यता है इससे धन की कभी कमी नहीं होती है। इसके अलावा आप गोमती चक्र भी खरीद सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्�� होती हैं।
धनतेरस पर नहीं खरीदने योग्य वस्तुयें-
इस दिन लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु घर लाते हैं, तो घर में दुर्भाग्य का प्रवेश हो जाता है।
धनतेरस पर एल्युमिनियम या स्टील की वस्तुएं न खरीदें। मान्यता है कि स्टील या ��ल्युमिनियम से बने बर्तन या अन्य कोई सामान खरीदने से मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन घर में कोई भी प्लास्टिक की चीज लेकर आएंगे तो इससे धन के स्थायित्व और बरकत में कमी आ सकती है, इसलिए धनतेरस के दिन प्लास्टिक की वस्तुएं भी न खरीदें।
धनतेरस के शुभ अवसर पर शीशे या कांच की बनी चीजें भी बिल्कुल नहीं खरीदनी चाहिए।
ज्योतिष के अनुसार धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी या बोन चाइना की कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
धनतेरस पर पूजा उपाय-
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर, यमराज और भगवान गणेश जी की पूजा करें।
धनतेरस के दिन घर और बाहर १३ दीपक जलाने से बीमारियों को दूर किया जा सकता है।
दान करना पुण्य कर्म है। माना जाता है कि, दान करने से पिछले जन्म के पाप धुल जाते है। धनतेरस के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन यदि आप सूर्यास्त से पहले दान करते हैं तो आपको धन की कमी नहीं होगी। हालांकि इस दिन सफेद कपड़ा, चावल, चीनी आदि का दान नहीं करना है।
धनतेरस पर पशुओं की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
धनतेरस कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार जब अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन किया गया था, तो एक-एक करके उससे क्रमशः चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई। समुद्र मंथन के बाद सबसे अंत में अमृत की प्राप्ति हुई थी। कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि समुद्र से अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी, इसलिए धनतेरस या धनत्रयोदशी के दिन धन्वंतरि देव के पूजन का विधान है।
।। जय श्रीगणेश माँ महालक्ष्मी ।।
*भगवान धनवंतरि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं*
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astrovastukosh · 1 year ago
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59 साल बाद धनतेरस पर बेहद शुभ संयोग देखे पूजा का शुभ मुहूर्त इन 5 राशि के लोगों होंगे नोटों से मालामाल
59 साल बाद धनतेरस पर बेहद शुभ संयोग देखे पूजा का शुभ मुहूर्त इन 5 राशि के लोगों मालामाल
59 साल बाद धनतेरस पर ग्रहों के बेहद शुभ संयोग में पूजा का शुभ मुहूर्त इन 5 राशि के लोग होंगे नोटों से मालामाल
59 साल बाद धनतेरस पर ग्रहों के बेहद शुभ संयोग में पूजा
इस दिन धन्वंतरि देव, लक्ष्मी जी और कुबेर महाराज की पूजा-अर्चना की जाती है।
धनतेरस कब है? जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि
दीपोत्सव का यह पर्व पूरे पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। धनतेरस का पर्व छोटी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है।
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astrosevatalk · 2 years ago
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धन प्राप्ति शक्तिशाली कुबेर मंत्र | इस मन्त्र से कुबेर देव को प्रसन्न कर...
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indlivebulletin · 2 months ago
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Dhanteras 2024 Shopping Time: धनतेरस के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें खरीदारी और पूजा, पूरे साल होगा धन लाभ!
Dhanteras 2024 Shopping Time and Shubh Muhurat: दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है. हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाएगा. इस दिन भगवान धनवंतरी और कुबेर देव की पूजा करने से व्यक्ति को सुख- सौभग्य मिलता है. मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी के साथ वाहन और घर के लिए फ्रीज, टीवी आदि खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है. धनतेरस 2024 तिथि (Dhanteras 2024 Date) वैदिक पंचांग के…
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jeevanjali · 1 year ago
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knowlegeupdate · 2 years ago
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Pooja naam ki ladkiyan kaisi hoti hain, पूजा नाम का मतलब
पूजा नाम का मतलब अगर आप अपने बच्चे का नाम पूजा रखने की सोच रहे हैं तो पहले उसका मतलब जान लेना ज��ूरी है। आपको बता दें कि पूजा का मतलब मूर्ति पूजा होता है। मूर्ति पूजा होना बहुत अच्छा माना जाता है और इसकी झलक पूजा नाम के लोगों में भी दिखती है। शास्त्रों में पूजा नाम को बहुत अच्छा माना गया है।
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everynewsnow · 4 years ago
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वास्तु शास्त्र: राशि के अनुसार जानें कौन सी दिशा में आपके लिए सबसे खास है
वास्तु शास्त्र: राशि के अनुसार जानें कौन सी दिशा में आपके लिए सबसे खास है
कैडर और पैगोन के लिए भी फायदेमंद … सभी दिशाओं का ज्योतिषशास्त्र में किसी ना किसी राशि से संबंध होता है। ऐसे में जहां किसी राशि के लिए कोई दिशा शुभ फलदायी होती है तो वहीं वह किसी की राशि के लिए नुकसानदायक हो सकती है। ऐसे में ज्योतिष व वास्तु के जानकारों का मानना ​​है कि यदि व्यक्ति अपनी राशि के अनुसार लकी दिशा को ध्यान में रखते हुए काम करें तो इसका ना सिर्फ उसकी सेहत पर अच्छा असर होगा, बल्कि वह…
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astropawankv · 4 years ago
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शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें और क्या नहीं, जानिए
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शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते है। पश्‍चिम जगत में इसे ब्लू मून कहा जाता है। कहते हैं कि नीला चांद वर्ष में एक बार ही दिखाई देता है। एक शताब्दी में लगभग 41 बार ब्लू मून दिखता है। इस बार 30 अक्टूबर 2020 शुक्रवार को शरद पूर्णिमा है। आओ जानते हैं अश्विन मास में आने वाली शरद पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं।*
शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें :-
1. शरद पूर्णिमा के चांद में छत या गैलरी पर चांद की रोशनी में चांदी के बर्तन में दूध को रखा जाता है। फिर उस दूध को भगवान को अर्पित करने के बाद पिया जाता है।
2. कुछ लोग पूर्ण चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर उनका पूजन करते हैं और खीर का नैवेद्य अर्पण करने के बाद रात को खीर से भरा बर्तन खुली चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करते हैं।
3. इस दिन घर में माताएं ज्यादा दूध लेती है। फिर दिनभर उसे ��टाती या उकालती घोटती रहती हैं। फिर उसमें केसर-मेवा आदि डालने के बाद रात को छत पर ले जाकर चंद्रमा को उसका प्रसाद चढ़ाकर उसका पूजन करती हैं। फिर चांदी का पतीला चंद्रप्रकाश में रख दिया जाता है ताकि चंद्रकिरणों से बरसता अमृत उसमें समा जाए। अंत में उसे पिया जाता है।
4. शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी, चंद्र देव, भगवान शिव, कुबेर और भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है। शरद पूर्णिमा की रात में की गई चंद्र पूजन और आराधना से साल भर के लिए लक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्ति होती है।
5. शरद पूर्णिमा की रात में हनुमानजी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। इसके लिए आप मिट्टी का एक दीपक लें और उसमें तेल या घी भरें। इससे आपको हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
# शरद पूर्णिमा के दिन क्या ना करें:-
1. भोजन :- इ��� दिन किसी भी प्रकार की तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे मांस, मटन, चिकन या मसालेदार भोजन, लहसुन, प्याज आदि।
2. शराब :- इस दिन किसी भी हालत में आप शराब ना पिए क्योंकि इस दिन शराब का दिमाग पर बहुत गहरा असर होता है। इससे शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
3. क्रोध :- इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है।
4.भावना :- जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। अत: भावनाओं में बहें नहीं खुद पर नियंत्रण रखकर व्रत करें।
5. स्वच्छ जल :- चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं। अत: इस दिन जल की मात्रा और उसकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।
6. अन्य सावधानियां :- इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखें। यदि इस दिन उपवास नहीं रख ��हे हैं तो इस दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करें तो ज्यादा बेहतर होगा। इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें और ना ही नकारात्मक बातें सोचे।
|| राम राम जी ||
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Verma's Scientific Astrology & Vastu Research Center Research Astrologer's Pawan Kumar Verma (B.A.,D.P.I.,LL.B.) & Monita Verma.... Ludhiana Punjab Bharat Phone..9417311379. 
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